GIVE के संस्थापक श्री वृन्दावनचंद्र दास जी का कार्यालय सभी गतिविधियों का केंद्र है । इस कक्ष में सभी कार्य-योजनाओं की रूपरेखा बनायी जाती है तथा उन पर विस्तार से चर्चा होती है । गंभीर आध्यात्मिक विषयों को केंद्र में रखते हुए विभिन्न शंकाओं के समाधान भी इसी कक्ष में ही किये जाते हैं । चिंताग्रस्त आगंतुक अपनी व्यक्तिगत समस्याओं के साथ एक सुस्पष्ट आध्यात्मिक मार्गदर्शन की खोज में लगातार श्री वृन्दावनचंद्र दास जी के पास आते रहते हैं, ऐसे आध्यात्मिक जिज्ञासुओं से मिलना और उनकी समस्याओं का समाधान करना श्री वृन्दावनचंद्र दास जी की दैनिक दिनचर्या का एक आवश्यक अंग है । यह वह जगह भी है, जहां से विभिन्न गतिविधियों की निगरानी की जाती है और विविध विषयों का समाधान किया जाता है । एक आध्यात्मिक सलाहकार होने के नाते, यह उनके कार्यालय के शांत वातावरण में अतिरिक्त समय के दौरान, आध्यात्मिक पुस्तकों (शास्त्रों) के अध्ययन के लिए एक निजी एवं नियमित स्थान है ।
विभिन्न योजनाओं का “सामूहिक-योजना-निर्धारण” एक मूल सिद्धांत है जिसे GIVE में स्थान दिया गया है । प्रत्येक कार्यक्रम अथवा योजना की सफलता या विफलता सामूहिक रूप से किये गए कार्य का परिणाम है । भविष्य की सभी परियोजनाओं पर तारतम्यता तथा उनके व्यावहारिक मूल्यांकन पर चर्चा की जाती है , इन सभी के लिए नवीनतम तकनीक का उपयोग किया जाता है । मौजूदा कार्यक्रमों का गहराई से मूल्यांकन एवं संभावनाओं का आकलन अथवा विभिन्न भावी परियोजनाओं का निर्माण भी यहीं होता है । सभी नवीन परियोजनाएं आवश्यक रूप से GIVE के मूलभूत आदर्शों तथा उद्देश्य पर आधारित हैं ।
GIVE की सर्वाधिक महत्वपूर्ण गतिविधि, प्रत्येक उपलब्ध मंच का उपयोग करके आध्यात्मिक ज्ञान का प्रचार-प्रसार करना है, इस प्रकार व्याख्यान कक्ष GIVE का एक और मुख्य केंद्र बन जाता है । रविवार, उत्सव का एक उचित दिन है, क्योंकि समिति के सदस्य तथा उनके बच्चे, आमंत्रित श्रोतागण तथा उनके बच्चे, पहली बार अपनी संतानों के संग पधारे हुवे नव आगंतुक तथा GIVE के भीतर सेवारत अन्य सेवक / भक्तगण तथा उनकी संतानें (जिनके बच्चे हैं), सभी एक-साथ मिलकर अध्यात्मिक विज्ञान के एक व्याख्यान को सुनने के लिए एकत्रित होते हैं । इन सत्रों के बाद सामूहिक भोजन प्रसाद का कार्यक्रम भी आयोजित किया जाता है। विभिन्न विषयों पर संगोष्ठियों और वार्ता उन लोगों के लिए आयोजित की जाती है, जो भगवद्गीता और विशिष्ट विषयों पर संबद्ध विषयों को सीखने और सुनने के लिए सदैव उत्साहित रहते हैं ।
GIVE के पास आध्यात्मिक पुस्तकों का एक विशाल संग्रह है । श्रीमद्भगवद्गीता, श्रीमद्भागवतम, चैतन्य चरितामृत, इत्यादि पुस्तकालय में निहित पुस्तकों के संग्रह का भाग हैं । जीवनी, महान वैष्णवों की आत्मकथाएं, वैष्णव दर्शन के सिद्धांतों के अलावा अन्य दर्शन, और गौडीय वैष्णववाद पर पुस्तकें, पुस्तकालय में उपलब्ध पुस्तकों का प्रमुख भाग हैं । वैदिक बच्चों के पढने के लिए सूक्तियों पर पुस्तकें, घरेलू शिक्षण आदि पर पुस्तकें आदि । तुलनात्मक अध्ययनों के लिए "अद्वैत" और "द्वैत" दर्शन पर पुस्तकें भी उपलब्ध हैं, इस प्रकार सूची अंतहीन है और इसी के साथ ही पुस्तकालय में एक महत्त्वपूर्ण ग्रन्थ “महाभारत” भी उपलब्ध है जिसका एक अंश भगवद्गीता है ।
GIVE में उन बालकों के लिए आश्रम की सुविधा है जिन्होंने ब्रह्मचारी जीवन जीने का निश्चय किया है और प्रशिक्षित होने के बाद पूर्णतः आध्यात्म के प्रचारक बनना चाहते हैं । आश्रम की गतिविधि प्रातः 3:00 - 3:30 से आरम्भ होती है, आश्रम के ऊपर वाले कक्षों में निवास करने वाले भक्त 4:30 बजे शंख ध्वनि के साथ शुभारम्भ होने वाली "मंगला आरती" के लिए उपस्थित होने के साथ दिनचर्या शुरू करते हैं । सुबह का मंदिर कार्यक्रम प्रातः 9.00 बजे तक चलता है, भगवद्गीता एवं अन्य ग्रंथों की पुस्तकों का अध्ययन अत्यावश्यक है। सुबह के कार्यक्रम के बाद एक व्यस्त दैनिक कार्यक्रम का चक्र प्रारंभ हो जाता है ।
गौरांग इंस्टीट्यूट फॉर वैदिक एजुकेशन – GIVE का नाम गौरांग महाप्रभु के नाम पर रखा गया है, और मंदिर में प्रमुख सबसे सुंदर विग्रह श्री श्री गौरांग महाप्रभु, नित्यानंद प्रभु और श्री श्री राधा गोपश्रेष्ठ हैं । GIVE के बैनर के तहत सभी गतिविधियां श्री गौरांग महाप्रभु को प्रसन्न करने के लिए की जाती हैं । मंदिर की पूजा वैदिक मानदंडों के अनुसार कठोरता से की जाती है । चूंकि सभी भगवद विग्रह अत्यंत ही महत्वपूर्ण हैं, इसलिए उनके बारे में हर तरह से सावधानी बरती जाती है, चाहे वह "भोग", वस्त्र, श्रृंगार आदि हो । क्रियान्वयन से पूर्व प्रत्येक मिनट के विवरण की जांच की जाती है ।
पुजारी निर्दिष्ट समय पर प्रतिदिन अलग-अलग आरती करते हैं, ये मंदिर की मूलभूत सेवाएं हैं । शास्त्र के आदेशों के अनुसार शुद्धता के उच्च मानकों की अपेक्षा की जाती है और पुजारी इसे बनाए रखने का पूर्ण प्रयास करते हैं । अन्य भक्तों की तरह पुजारी भक्तों ने आध्यात्मिकता के लिए निषिद्ध भोजन और पेय पदार्थों यथा मांस, चाय, कॉफी, शराब, प्याज, लहसुन इत्यादि का पुर्णतः त्याग कर दिया है ।
जन्माष्टमी, राधाष्टमी, रामनवमी, नरसिम्ह जयंती (ये केवल कुछ प्रमुख उत्सव हैं), वैष्णव आचार्यों के आविर्भाव तथा तिरोभाव जैसे सभी प्रमुख वैष्णव उत्सव, GIVE का स्थापना दिवस इत्यादि अत्यंत ही हर्षोल्लास, उत्साह और उमंग के साथ मनाया जाते हैं । भक्तगण इन दिनों उपवास करते हैं तथा उचित निर्धारित मुहूर्त तक उपवास करके उपवास का पारण करते हैं । एक व्याख्यान उस दिन का मुख्य आकर्षण है जब उस विशेष दिन के महत्व को समझाया जाता है, इसके बाद भव्य दोपहर अथवा रात्रि भोजन प्रसाद (अपने आराध्य ईष्ट को भोग लगाकर अर्पित भोजन के शेष प्रसाद) को बड़े ही चाव से ग्रहण किया जाता है जिसे आमंत्रित किये हुवे तथा अन्य भक्तों द्वारा समान रूप से सामूहिक रूप से भगवान् का महाप्रसाद अथवा कृपा के रूप में पाया जाता है ।