हरिनाम जप करने की विधि
- कृपया माला खरीदने या जप शुरू करने से पहले मनकों को गिनकर यह जाँच लें कि सुमेरु मनके (जिस मनके में से धागे निकले हों ) को छोड़कर माला में 108 मनके ही हों ।
- अपने सीधे हाथ को माला झोली में डालने के बाद,अपनी तर्जनी अंगुली (अंगूठे के पास वाली) को माला झोली में दिए गए छोटे छिद्र से बाहर निकाल लें और यदि आपके पास माला झोली न हो तो जप करते समय माला को अपनी तर्जनी अंगुली से न छुएं,जैसा की सीधे हाथ पर उपर दिए गए चित्र में दर्शाया गया |
- माला को अपने सीधे हाथ अंगूठे तथा मंझली अंगुली के बीच पकड़ें ।
- प्रत्येक माला शुरू करने से पहले “जय श्री कृष्ण चैतन्य प्रभु नित्यानंद श्री अद्वैत गदाधर श्री वासादि गौर भक्त वृंद" का उच्चारण करें ।
- प्रथम मनके पर (सुमेरु से अगला मनका,ऊपर सीधे हाथ पर चित्र देखे) पूरे महामंत्र का जप करके शुरुआत करें । फिर दूसरे मनके पर,तीसरे मनके पर,इसी प्रकार प्रत्येक मनके पर पूरा महामंत्र का उच्चारण करते हुए आगे बढ़ते रहे ।
- मनकों को अपनी ओर ही घुमाएँ ।
- एक माला हो जाने पर,एक और माला करने हेतु पूरी विधि को फिर से दोहराएँ, लेकिन सुमेरु मनके को नहीं लाँघना है तथा जिस मनके पर पहली माला समाप्त हुई, उसी मनके से दूसरी माला अपनी ओर घुमाते हुए शुरू करें । पिछली माला का आखरी मनका,अगली माला का पहला मनका होगा|
- महत्वपूर्ण - महामंत्र के हर शब्द को अत्यंत ध्यानपूर्वक सुनें । कलि संत्रण उपनिषद (जो कलियुग में तारता है) के अनुसार कलियुग में सफलता, सुख एवं शान्ति प्राप्त करने का मात्र एक ही मंत्र वैध है जो इस प्रकार है-
हरे कृष्ण महामंत्र
“हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे ।।
हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे ||”