श्री कृष्ण प्रसाद का सम्मान

श्रीकृष्ण प्रसाद का सम्मान

श्री कृष्ण प्रसाद को ग्रहण करने से पहले इन मन्त्रों का उच्चारण करके भगवान् श्री श्री राधा कृष्ण श्री श्री गौर निताई को धन्यवाद करें -

महाप्रसादे गोविन्दे नमो - ब्रह्माणी वैष्णवे
स्वल्पपुण्यवतां राजन् विश्वासो नैव जायते
शरीर अविद्या जाल जोडेन्द्रिय ताहे काल || 1 ||

जीवे फेले विषय सागोरे तार मध्ये जिव्हा
अति लोभमोय सुदुर्मति ताके जेता कठिन
संसारे कृष्ण बड़ो दोयामोय , कोरिबारे जिव्हा
जय स्वप्रसाद अन्न दिलो भाई सैई अन्नामृत पाओ,
राधाकृष्ण गुण गाओ || 2 ||

प्रेमे डाको श्री चैतन्य निताई । जय निमाई जय निताई
जय श्री कृष्ण चैतन्य प्रभु नित्यानंद श्री अद्वैत गदाधर श्रीवासादी गौर भक्त वृंद |

हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे,
हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे |


अनुवाद

गोविन्द के महाप्रसाद, नाम तथा वैष्णव भक्तों में स्वल्प-पुण्य वाले लोगों को विश्वास नहीं होता। शरीर अविद्या का जाल है, जडे़न्द्रियाँ जीव की कट्टर शत्रु हैं। इन इन्द्रियों में जिव्हा अत्यंत लोभी तथा दुर्मति है जो जीव को भौतिक विषयों के भोग के सागर में फेंक देती है। भगवान श्री कृष्ण बड़े दयालु हैं, उन्होंने इस जिव्हा को जीतने हेतु अपना प्रसाद अन्न दिया है। अब कृपया इस अन्नमय प्रसाद को ग्रहण करो और श्रीश्री राधा कृष्ण का गुणगान करो। तथा प्रेम से श्री चैतन्य-निताई पुकारो।

श्री श्री राधागोपश्रेष्ठ, श्री श्री राधा श्यामसुदंर, श्री श्री निताई गौरांग महाप्रभु, श्री गौरनिताई पंचतत्व, भक्तिवेदांत स्वामी ठाकुर श्रील प्रभुपाद महा-महाप्रसाद की जय। निताई गौर प्रेमानंदे ... हरि हरि बोल !!!

Donate for Gitalaya