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जिंदगी
जिंदगी
आत्म विश्वास अपने आप पर विश्वास से उत्पन्न होता है, यह विश्वास इस बात को जानने पर आता है कि "मैं कौन हूँ"
भौतिक चिंताएं बार बार चिता तक ले जाती है जबकि आध्यात्मिक चिंतन चिता से दूर करता है
यदि जीवन का लक्ष्य केवल मजे करना हो तो ऐसी जीवन पद्धति में नैतिकता स्थान नहीं पा सकती।
भौतिक जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए "प्रेरणा" लोभ का ही एक दूसरा नाम है- जो कि अंतहीन कष्टों का मुख्य द्वार है
अपने भाग्य को परिवर्तित करने के लिए जिएँ, न कि अपने भाग्य को जीने के लिए जिएँ
झूठा अहम (पहचान )बुरा है जबकि वास्तविक अहम(पहचान ) अच्छा है
मानसिक परिकल्पना(अटकलबाजी) से सत्यता का विनाश हो जाता है
सबसे बड़ा भ्रम, सबसे बड़ी मूर्खता है यह सोचना – “एक ही जीवन है, मजे कर लो ”
हमें अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए प्रयास करना चाहिए न कि लोभयुक्त ईच्छाओं की पूर्ति के लिए
मनुष्य जीवन का वास्तविक लक्ष्य आनंद प्राप्त करना है, न कि केवल दुखों को दूर करना
इस जीवन का लक्ष्य ही यही है कि हम यह जानें कि मनुष्य जीवन का वास्तविक उद्देश्य क्या है ?
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