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विज्ञान और अध्यात्म
विज्ञान और अध्यात्म
टेंशन और डिप्रेशन को दूर करने का एकमात्र उपाय है आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करना और उसको अपने जीवन में लगाना
भविष्य के विषय में भय आत्म विश्वास कम करता है, आध्यात्म हमें यह सिखाता है कि वर्तमान में कैसे जिया जाये
श्रद्धा ही जीवन का मूल है
मजे की अवधि बहुत छोटी होती है जबकि आनंद शाश्वत है, आध्यात्मिकता आपको सिखाती है कि इस आनंद को कैसे प्राप्त किया जाये
भौतिक प्रगति ने मानसिक क्षमता नहीं मानसिक दिवालियेपन में बढ़ोतरी की है
आध्यात्मिकता सनातन का अध्ययन है, और हम इसी सनातन का ही एक भाग हैं
आध्यात्मिकता वास्तविकता से भागने का नाम नहीं है, वह तो वास्तविकता की ओर भागने का नाम है
भगवद गीता सारी मानवता के लिए विश्व की सर्वाधिक स्वीकार्य और सुप्रतिष्ठित आध्यात्मिक पुस्तक है
हमें आध्यात्म आकर्षित नहीं करता क्योंकि हम अपने आप को इस भौतिक संसार का भाग समझते हैं
जिस प्रकार एक विज्ञान दूसरे विज्ञान के तथ्यों को सिद्ध कर पाने में असमर्थ है, उसी प्रकार आध्यात्मिक विज्ञान को भौतिक या सांसारिक विज्ञान की विधियों से समझा नहीं जा सकता
सारा संसार ही समस्याओं से ग्रसित है और इसका कारण यह है कि लोग परम सत्ता के नियमों को लगातार तोड़ रहे हैं
मनोरंजन क्षणिक होता है जबकि आनंद शाश्वत है
जरा सोचिए- विज्ञान और तकनीकी के इस विकास नें क्या वास्तव में हमें आनन्द दिया है?
ईच्छा रहित होने की ईच्छा करना स्वयं अपने आप में एक ईच्छा है , अतः कोई भी पूर्णतः ईच्छा रहित हो ही नहीं सकता।
धर्म विश्वास पर आधारित है जबकि आध्यात्मिकता तथ्यों पर, धर्म विभाजित करता है जबकि आध्यात्मिकता जोड़ती है।
आध्यात्मिक ज्ञान मनुष्य को भौतिक जीवन की कठिन और विषम राहों के आघातों को सहने योग्य बनाता है।
जीवन में शांति आने पर ही आनंद की प्राप्ति हो सकती है
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