वाञछा कल्पतरुभ्यश्च कृपासिन्धुभ्य एवं च ।
पतितानां पावनेभ्यो वैष्णवेभ्यो नमो नमः ।।
मैं भगवान् के समस्त वैष्णव भक्तों को सादर नमस्कार करता हूँ। वे कल्पवृक्ष के समान सबों की इच्छाएं पूर्ण करने में समर्थ हैं, तथा पतित जीवात्माओं के प्रति अत्यन्त दयालु हैं ।