आरती प्रक्रिया

मंगला आरती प्रक्रिया

  1. सबसे पहले, आचमन करें। पानी से भरा हुआ तांबे या पीतल का एक कप और एक चम्मच लें। चम्मच के माध्यम से अपने दाहिने हाथ से पानी लें और अपने बाएं हाथ पर डालें। अब चम्मच को अपने बाएं हाथ से पकड़कर अपने दाहिने हाथ पर पानी डालें। दाहिने हाथ में 3 बार पानी डालें और हर बार भगवान के इन तीन नामों का जाप करके पानी पिएं।
    1. ओम केशवाय नमः
    2. ओम गोविन्दाय नमः
    3. ओम माधवाय नमः
  2. अब आरती की थाली तैयार करें। मंगला आरती की थाली में नीचे बताई सभी वस्तुएं होनी चाहिए ।
    1. धूप (अगरबत्ती)
    2. एक दीपक और बत्ती ।
    3. प्राकृतिक फूल (पारिजात, गुलाब, मोगरा, ऑर्किड या ऐसे फूल जिनकी गंध अच्छी होती है)
    4. भगवान को स्नान कराने के लिए शंख
    5. रूमाल
    6. चामर (याक- टेल व्हिस्क)
    7. मोर पंख

आरती के लिए आवश्यक अन्य वस्तुएं -

  1. घंटी
  2. बजाने के लिए शंख
  3. अचमन कप और चम्मच
  4. माचिस
  5. बाती और दीपक
  6. फूलों के लिए एक छोटी प्लेट

आरती करते समय इन बातों का अवश्य ध्यान रखें -

आचमन (शुद्धि) करने के बाद ही आरती शुरू करें। आचमन पात्र से तीन चम्मच पानी लें और उन्हें पहले एक हाथ में डालें, फिर दूसरे हाथ में डाल कर शुद्ध करें ।

प्रत्येक वस्तु को लेने और चढ़ाने से पहले अपने दाहिने हाथ को और फिर उस वस्तु को आचमन पात्र से जल छिड़क कर शुद्ध कर लें।

हमेशा घंटी बजाते हुए ही मंदिर के पट खोलें ।

वेदी अर्थात भगवान् के बैठने के स्थान के बाईं ओर खड़े होकर ही आरती करते हैं (यदि भगवान् की तरफ से देखा जाए तो दाई हाथ पे), कोशिश करें कि वेदी के सामने न आयें। भेंट की जाने वाली प्रत्येक वस्तु दाहिने हाथ में धारण की जाती है। घंटी हमेशा कमर से ऊपर बाएं हाथ में धारण की जाती है, एक क्रम से प्रत्येक वस्तु को भगवान् को अर्पित करते हुए लगातार घंटी भी बजाकर आरती की जाती है ।

हर वस्तु पहले श्रील प्रभुपाद को अर्पित करें, उसके बाद इस क्रम के अनुसार चलें - जैसे, श्री श्री राधा-कृष्ण, श्री श्री जगन्नाथ बलदेव सुभद्रा जी , श्री श्री गौरा-नितई, श्री पंच तत्त्व ,श्री षड गोस्वामी, एवं श्री गुरु परंपरा ।

विनम्रता के भाव से भगवान् की एक एक वस्तु से आरती करिए । भगवान् की आरती करने के बाद आरती भक्तों की तरफ घुमादें ।

जिन वस्तुओं से आरती हो गयी है उन्हें प्लेट से बाहर अलग से रखें |

बजाने वाले शंख पर तीन चम्मच पानी डालें । मंदिर के कमरे के ठीक बाहर खड़े होकर, तीन बार शंख बजाएं । शंख का बजना आरती की शुरुआत की घोषणा है।

एक छोटे घी का दीपक जलाएं, और उस दीपक का उपयोग अगरबत्ती और अन्य दीपक जलाने के लिए करें ।

इस क्रम में आरती करें:

  1. छोटे घी के दीपक की लौ से 1 या 3 या 5 अगरबत्ती जलाएं । अब नीचे दिए गए क्रम में एक गोलाकार गति में लहराते हुए अगरबत्ती से आरती करें:
    • श्री विग्रह के चरणकमल - 4 बार
    • श्री विग्रह नाभि - 3 बार
    • श्री विग्रह के पूर्ण शरीर - 7 बार
    अगरबत्ती अर्पित करने के बाद, अगरबत्ती को स्टेंड में लगा दें।
  2. अब घी का दीपक जलाएं और नीचे दिए गए क्रम में आरती करें ।
    • श्री विग्रह चरणकमल - 4 बार
    • श्री विग्रह नाभि - 2 बार
    • श्री विग्रह चेहरा - 3 बार
    • श्री विग्रह का पूर्ण शरीर - 7 बार
    अर्पित करने के बाद इसे भक्तों में से किसी एक को सौंप दें, जिससे बाकि के भक्त आरती लें सकें ।
  3. जल के पात्र से छोटे शंख को पानी से भरें। नीचे दिए गए क्रम में शंख से आरती करें:
    • श्री विग्रह का पूर्ण शरीर - 7 बार
    प्रत्येक श्री विग्रह को अर्पित करने के बाद, शंख से थोड़ा सा जल एक पात्र में स्थानांतरित करें। और आखिरी में बचा हुआ पूरा जल उसी पात्र में डालें। पूर्ण आरती के बाद इस जल के पात्र से अपने दाहिने हाथ में जल डालें, फिर उसे भक्तों पर छिड़कें।
  4. नीचे दिए गए क्रम में रूमाल से आरती करें:
    • श्री विग्रह चरणकमल- 4 बार
    • श्री विग्रह नाभि - 2 बार
    • श्री विग्रह चेहरा - 3 बार
    • श्री विग्रह का पूर्ण शरीर - 7 बार
  5. फूल अर्पित करें, फिर उसे किसी भक्त को सौंप दें, वह भक्त दुसरे भक्त को सौंप दें, और इस तरह यह फूल हर भक्त तक पहुच जायें ।
  6. इसके बाद चामर को श्री विग्रहों के पूरे शरीर पर घुमाकर आरती करें | संख्या - समय के आधार पर।
  7. फिर मौर पंख - मोर के पंखे को आगे और पीछे की ओर चलाकर आरती करें । संख्या - समय के आधार पर।
  8. इसके बाद फिर से शंख पर तीन बार शंख बजाएं और आरती को विराम दें ।

कौन सी आरती कितनी और कौन कौन सी वस्तुओं से करें ?

मंगला आरती: पूर्ण 7 वस्तुएं।

तुलसी आरती: तुलसी आरती में आपको तीन वस्तुओं का उपयोग करना चाहिए - 1. अगरबत्ती , 2. घी का दीपक और 3. फूल।

दर्शन आरती: दर्शन आरती में आपको तीन वस्तुओं का इस्तेमाल करना चाहिए - 1. अगरबत्ती , 2. घी का दीपक और 3. चामर ।

गुरु पूजा - सभी 7 वस्तुएं ।

गौरा आरती - सभी 7 वस्तुएं ।

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